Friday, October 31, 2008

मां कोई भी हो, मां कैसी भी हो, मां किसी की भी हो...मां तो मां होती है....राहुल राज की मां को भी औलाद के मर जाने पर वही कैफियत हुई जो हर मां को होती है


Add Videoगया तो ख़्वाब हज़ारों थे उसकी आंखों मे
जो आया लौट के तो ख्वाब बनके आया है..........................................!!!!
जिसे सुलाती थी रातों को लोरियां देकर
जिसे चलाती थी हाथों में उंगलियां देकर
कहां है वो जिसे आंखों का नूर कहती थी
कहां है वो जिसे दिल का सुरूर कहती थी...
मेरे मकान में तस्वीर उसकी आज भी है
दरीचे याद में डूबे हैं मां को आस भी है
तुम्हारी मां तेरे आने की राह तकती है
कहां हो तुम तेरे दीदार को सिसकती है...
तुम्हारी राखी है घर के अंधेरे ताख़ पे जो
बहन ने दी थी तुम्हें जिस वजह से याद है वो
उसी का कर्ज़ मेरे लाल तुम चुका जाते
तुम अपनी बहन के मिलने बहाने आ जाते...
कहां गए थे जो सीने में ज़ख़्म ले आए..
ये धब्बे खून के तुमने कहां पे हैं पाए
किसी ने तुमको बड़ी बेदिली से मारा है
तुम्हारी मां की भरी गोद को उजाड़ा है
सुना था देश के क़ानून में वफ़ा है बहोत़
सुना था इनकी अदालत में फैसला है बहोत
इन्हें कहो कि मेरा लाल मुझको लौटा दें
इन्हे कहो कि गुनहगार को सज़ा दे दें..
दुआएं देती थी तुझको जिये हज़ार बरस
दुआएं करती रही और गुज़र गया ये बरस
मगर ये क्या कि तुझे ये बरस न रास आया
तेरी उमीद भी की और तुझको ना पाया
कहां हो तुम मेरे नूर-ए-नज़र जवाब तो दो
कहां हो ऐ मेरे लख्त-ए-जिगर जवाब तो दो
कहां गए हो कि वीराना चारों सू है बहोत
कहां गए हो कि दुनिया में जुस्तजू है बहोत
कब कहां किसकी दुआओं के सबब आओगे
किस घड़ी ऐ मेरी उम्मीद के रब आओगे
कुछ तो बेचैनी मिटे मां की तेरे ऐ बेटा
ये बताने ही चले आओ कि कब आओगे...
मसरूर अब्बास !!!

2 comments:

jaideep shukla said...

मुझे खुशी है कि अभी भी हमारे देश भारत में ऐसे कुछ लोग हैं जो दूसरों के दुख-दर्द को समझते हैं....और उन्हीं कुछ लोगों में से एक हैं मसरूर अब्बास जो कि पेशे से एक मिडिया पत्रकार हैं...जिन्होनें न सिर्फ उस मां के दर्द को महसूस किया बल्कि उसे अपनी कलम की ताकत द्वारा आम जनता तक पहुँचाने का काम भी किया... i am really feeling very pround of you that you have done such a great job . and i wish that you would continue such type of grt work . and would enlighten the whole world with your writting skills...

jai shukla

Unknown said...

Must say, "A meritorious sentimental creation.!"