Saturday, May 30, 2009

छुपचुप के निगाहों का इशारा नहीं करते...




कांटो को मोहब्बत का इशारा नहीं करते
एक बार जो करते हैं दुबारा नहीं करते



वो रंग जो उल्फत की किताबों से परे हैं
उस रंग को हम दिल में उतारा नहीं करते

चुपचाप से रो लेते हैं हम याद में तेरी
पर नाम तेरा लेके पुकारा नहीं करते

इन रेशमी ज़ुल्फ़ों में बसी है मेरी दुनिया
यूंही तेरी ज़ुल्फ़ों को संवारा नहीं करते

जीने के लिए यादों का दाना ही बहोत है
हम झूठ के टुकड़ों पे गुज़ारा नहीं करते

वो लोग जो खुद्दार हैं मर जाते हैं लेकिन
ज़िल्लत में मिली उम्र गवारा नहीं करते


मसरूर

Friday, May 29, 2009

आसमां हो के भी ज़र्रे से मोहब्बत की है


मेरे महबूब बता कैसी इनायत की है
आसमां हो के भी ज़र्रे से मोहब्बत की है


कल वो चाहत का मेरी खूब उड़ाएंगे मज़ाक
मेरी तकदीर ने ये कैसी शरारत की है

मैं बदल जाउं तो लगता है कि मर जाउंगा
मैं न बदलूं तो वो समझेंगे बग़ावत की है

लोग दुनिया में तो मिट्टी के खुदा पूजते हैं
मैंने ख्वाबों में भी बस उसकी इबादत की है


मसरुर

Monday, May 25, 2009

अच्छी सूरत को संवरने की ज़रूरत क्या है, सादगी में भी क़यामत की अदा होती है


तू आसमां है चांद सितारों से पूछ ले

दुनिया के इन हसीन नज़ारों से पूछ ले


तुझको मैं रब कहूं तो बुरा मानते हैं लोग
तू मेरे दिल की बात इशारों से पूछ ले

तुझमें ही डूबने को बना है मेरा वजूद
दरिया से शर्म है तो किनारों से पूछ ले

डाली मेरे चमन की भी भीगी हुई सी है
सावन की हल्की हल्की फुहारों से पूछ ले

बेरंग सी हुई हैं फिज़ाएं तेरे बगैर
मेरा यकीं नहीं तो बहारों से पूछ ले


मसरूर अब्बास

Friday, May 1, 2009

तू मुझमें ही है फिर दिखता क्यों नहीं...?


मुझसे नालां हैं मेरे चाहने वाले या रब
मैं परेशान हूं अब मुझको बचा ले या रब

कौन सी राह पे बहंका सा चला आया हूं
तू सही राह मुझे आ के दिखा दे या रब

इस ज़माने का हर एक रंग तेरे रंग से है
मेरी दुनिया को भी रौशन सा बना दे या रब

तू ही लिखता है मुकद्दर की किताबें सब की
मेरी बिगड़ी हुई तकदीर बना दे या रब

रौशनी साथ है पर फिर भी अंधेरा है यहां
मेरी दुनिया के अंधेरों को मिटा दे या रब

हम कहां फैसला लेने का हुनर रखते हैं
मेरी मंज़िल से मुझे आ के मिला दे या रब

इस ज़माने को तैरे होने का एहसास नहीं
अपने चेहरे से ज़रा पर्दा उठा दे या रब
मसरूर अब्बास