Friday, May 1, 2009

तू मुझमें ही है फिर दिखता क्यों नहीं...?


मुझसे नालां हैं मेरे चाहने वाले या रब
मैं परेशान हूं अब मुझको बचा ले या रब

कौन सी राह पे बहंका सा चला आया हूं
तू सही राह मुझे आ के दिखा दे या रब

इस ज़माने का हर एक रंग तेरे रंग से है
मेरी दुनिया को भी रौशन सा बना दे या रब

तू ही लिखता है मुकद्दर की किताबें सब की
मेरी बिगड़ी हुई तकदीर बना दे या रब

रौशनी साथ है पर फिर भी अंधेरा है यहां
मेरी दुनिया के अंधेरों को मिटा दे या रब

हम कहां फैसला लेने का हुनर रखते हैं
मेरी मंज़िल से मुझे आ के मिला दे या रब

इस ज़माने को तैरे होने का एहसास नहीं
अपने चेहरे से ज़रा पर्दा उठा दे या रब
मसरूर अब्बास

4 comments:

Unknown said...

Gazab,
very nice.
Itna pyara bachchha allah se kuchh mange aur wo na de aisa ho nahin sakta.
Allah k bande...!

somadri said...

rab ne to rasta dikhla diya hai,
poshni se poocho tumhe karna kya hai

tanu said...

hamari dua hai ki khuda aapki saari maante puri kare itne pyar se dua ki hai to khuda ko niche aakar bhi aapki dua kabul karni padi to woh karengay. amazing aap bahut acha likhte hai

'MASROOR' said...

thanxxx tanu...

:---)