भंवरे तेरे आने की खबर पूछ रहे हैं
आना तो मोहब्बत का शहद साथ में लाना
उनको भी तेरे हुस्न की आदत सी हुई है
वो भी तेरी ज़ुल्फों के गिरफ्तार हुए हैं
बाग़ों के परिंदों को भी है तेरी तमन्ना
वो भी तेरे आने की खबर पूछ रहे हैं
उनको भी तेरी आंखों के तीरों की खबर
चुपचाप से बैठे हैं इन्हें जान डर है
वो रात में दिखते हैं जो जुगनू कई सारे
वो भी तरे चेहरे उजालों से हैं रौशन
उनको भी तेरे नूर की आदत सी हुई है
घुटनों पे खड़े हैं तेरे आने की खबर है
सन्नाटा अपाहिज सा परेशान बहोत है
गलियां तेरे उम्मीद में वीरान बहोत हैं
अब इनको बचा लो कि इन्हें तुमसे है राहत
तुमसे जो हुई बस उसी तकरार का डर है
खेतों में सुनहरी सी पड़ी बालियां सारी
इस आस में बैठी हैं कि गुज़रोगे कभी तुम
पक जाएंगी वो मरमरी आवाज़ को सुनके
आंखों से बचा लो इन्हें बरसात का डर है
आहिस्ता चलो पैरों की झनकार तुम्हारे
कानों को मेरे आज भी बेचैन करे है
मैं आस लागाए हुए बैठा हूं कभी से
तुम मुझको बचा लो मुझे अंजाम का डर है
मसरुर अब्बास
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