Thursday, March 26, 2009

अब दिल न लगाने की दुआ मांग रहा हूं !!!



कुछ है जो भुलाने की दुआ मांग रहा हूं
अब होश में आने की दुआ मांग रहा हूं


मुश्किल है मेरे दर्द का एहसास तुझे हो
वो दर्द मिटाने की दुआ मांग रहा हूं


आंखों के समंदर का पता पूछने वाले
अश्कों को छुपाने की दुआ मांग रहा हूं


मैं आज तेरे हुस्न से आज़ाद हुआ हूं
अब दिल न लगाने की दुआ मांग रहा हूं


मसरुर अब्बास

1 comment:

Anjelanima_एंजेला एनिमा said...

मसरुर, ये जज्बात दिल को छू गए। कितने सलीके से दर्द को लफ्जों में पिरोया है आपने। इस दर्द में हर वो एहसास मौजूद है जो आप कहना चाहते हैं। लफ्जों में सजी इन भावनाओं की जितनी भी तारीफ करें कम है। बस हम चंद शब्दों में यही कहना चाहते है, आपकी दुआ में आप अकेले नहीं, हम भी आपके साथ हैं....