ये अपने दर्द का इज़हार भला किस से करे
बहुत उदास है ये घर तुम्हारे जाने से
हमें भी रन्ज है ऐ दोस्त तेरे जाने का
कुछ एक ज़ख्म हरे हो गए पुराने से
खुदा से मांग तो लेते तुम्हारा साथ मगर
मिलेंगे राह में इक दिन किसी बहाने से
हमारे प्यार का तुम इम्तेहान मत लेना
पड़ा जो वक्त तो लड़ जाएंगे ज़माने से ।
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