Wednesday, November 12, 2008

‘दक़ियानूसी राज’





शहर में राज का चर्चा दिखाई देता है
हर एक शक्स तड़पता दिखाई देता है
ज़माना चांद पे जाने की कर रहा है फ़िराक़
इसे तो सिर्फ़ मराठा दिखाई देता है
किसी को भी यहां ‘भईया’ से कोई बैर नहीं
इसी की आंख में कांटा दिखाई देता है
ज़माना जान चुका है परख चुका है इसे
ये शक्स खून का प्यासा दिखाई देता है
जहां में जब भी दरिंदों दी बात होती है
ये सैकड़ों में अकेला दिखाई देता है
लिबास इसका भले ही सफ़ेद हो लेकिन
ये शक्स सोच का काला दिखाई देता है
ये मुंबई की फ़िज़ाओं में ख़ौफ़ भर भर कर
बुराइयों का ओसामा दिखाई देता है
ये राजनीति का चक्कर है जान लो ‘भईया’
ये शक्स बुश का नवासा दिखाई देता है
ये राज कौन है क्यों इसकी बात करते हो
ये ‘राज’नीति का प्यासा दिखाई देता ही
भरेगा कब भला इसकी शरारतों का घड़ा
के इसका वक्त तो पूरा दिखाई देता है
मसरूर अब्बास

7 comments:

Unknown said...

What else one can say other than this,

Waah!

Wonderful description of the truth.

Girish Kumar Billore said...

aate hee chha gae
स्वागतम

Unknown said...

masroor aapne bahut sahi likha hai raaj ke ley. Aapka nazm bahut he acha hai aap jaise loog he raaj jaise gere insan ko theek kar sakte hai.

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

thik kaha aapne
narayan narayan

Amit K Sagar said...

ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
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आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
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अमित के. सागर
(उल्टा तीर)

Unknown said...

Gr8 idealogy dude..keep it up

रचना गौड़ ’भारती’ said...

Nice ! Wonderful !
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
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