मेरे दिल की यही फरियाद “ के अब और नहीं “
चाहतें हो गईं बर्बाद “ के अब और नहीं “
कोशिशें मैंने बहोत कीं तुम्हें पाने की मगर
मर गए सब मेरे जज़्बात “ के अब और नहीं “
मैनें मांगा था तुम्हें फूल समझकर लेकिन
आप कांटों की हैं बरसात “ के अब और नहीं “
ज़िंदगी तुमको पुकारेगी हर एक रोज़ मगर
खत्म कर दूंगा मुलाक़ात “ के अब और नहीं “
ज़ुल्म सहते हुए इग्यारह महीने गुज़रे
इतनी काफ़ी हैं इनायात “ के अब और नहीं “
याद कर के तुम्हें तन्हाई में बेचैनी में
हमने काटी हैं कई रात “ के अब और नहीं “
अपनी दुनिया में बहुत खुश सा है तन्हा मसरूर
बस यहीं तक था तेरा साथ “ के अब और नहीं “
मसरूर अब्बास
चाहतें हो गईं बर्बाद “ के अब और नहीं “
कोशिशें मैंने बहोत कीं तुम्हें पाने की मगर
मर गए सब मेरे जज़्बात “ के अब और नहीं “
मैनें मांगा था तुम्हें फूल समझकर लेकिन
आप कांटों की हैं बरसात “ के अब और नहीं “
ज़िंदगी तुमको पुकारेगी हर एक रोज़ मगर
खत्म कर दूंगा मुलाक़ात “ के अब और नहीं “
ज़ुल्म सहते हुए इग्यारह महीने गुज़रे
इतनी काफ़ी हैं इनायात “ के अब और नहीं “
याद कर के तुम्हें तन्हाई में बेचैनी में
हमने काटी हैं कई रात “ के अब और नहीं “
अपनी दुनिया में बहुत खुश सा है तन्हा मसरूर
बस यहीं तक था तेरा साथ “ के अब और नहीं “
मसरूर अब्बास
1 comment:
wah masroor abbas kya khub likha aap ny. Apke har nazm dil ko chu jaate hai.
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